
हिन्दू धर्म में भगवान के प्रशाद में न तो प्याज और लहसुन भक्तों में बांटा जाता है और न ही उन्हें चढ़ाया जाता है. लेकिन क्या आप इसके पीछे छिपे रहस्य को जानते है, अगर नही तो चलिए आज हम आपको बताते है कि आखिर क्यों हिन्दू धर्म में देवी देवताओं को लहसुन प्याज अर्पित नहीं किया जाता है?
दरअसल जब समुंद्र मंथन हुआ था, उस समय वहां से अमृत निकला. जिसे विष्णु भगवान देवताओ को बाँट रहे थे, लेकिन तभी छल से दो राक्षस राहु और केतु वहां देवता बनकर आ गए और उन्होनें उस अमृत का सेवन कर लिया था. लेकिन, तभी सूर्य और चंद्रमा दोनों ने भगवान विष्णु को बता दिया कि यह दोनों देवता नहीं बल्कि राक्षस है. यह सुनकर वह दोनों राक्षस वहां से भागने लगे, जिस पर भगवान विष्णु को बेहद क्रोध आया और उन्होनें सुदर्शन चक्र द्वारा उन दोनों के सिर धड़ से अलग कर दिए. लेकिन, तब तक अमृत का प्रभाव उनके गले में ही रह गया परंतु वह शरीर तक नही पहुंच पाया.
जिस वजह से उनका शरीर तो वहीं नष्ट हो गया था लेकिन उन दोनों का सिर अमर हो गया, परंतु उनके कटे सिरों से अमृत की कुछ बूंदे धरती पर गिर गई. जिससे लहसुन और प्याज की उपज हुई. अमृत की बूंदों से उत्पन्न होने के वज़ह से ही लहसुन और प्याज में रोगों से औषधिय के समान शक्ति होती है. लेकिन यह अमृत की बुँदे राक्षस के मुहं से गिरी थी, जिस वजह से इनमें तेज़ गंद आती है और यह अपवित्र माने जाते है. वैसे यह भी एक मान्यता है कि प्याज और लहसुन का सेवन करने से न केवल शरीर राक्षसों के शरीर की तरह मज़बूत होता है बल्कि सोचने-समझने की शक्ति भी राक्षसों की तरह ही हो जाती है.
इसी वज़ह से इन्हें भगवान की पूजा में भी इस्तेमाल नही किया जाता है. बता दें कि आज भी जब नव ग्रह पूजन किया जाता है तो राहू और केतू के केवल सिर को ही जीवित माना जाता है.